Petrol-Diesel: GST के दायरें में आयेगा अब पेट्रोल-डीजल, जाने क्या इसके बाद सस्ता होगा ईंधन?

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Petrol-Diesel Under GST: पेट्रोल-डीजल को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने सोमवार को मोदी सरकार (Modi Government) के पेट्रोल-डीजल और शराब को जीएसटी (GST) के दायरे में लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ऐसे में अब लोगों के दिमाग में यह सवाल घूमने लगा है कि क्या इससे ईंधन के दाम (Petrol-Diesel Price Today) में कमी आएगी। अगर आप भी यही सोच रहे हैं तो आइए हम आपको इसके बारे में डिटेल में बताते हैं।

Petrol-Diesel Under GST

केन्द्र के फैसले पर राज्यों की मंजूरी भी जरूरी

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मंजूरी दे दी है, लेकिन राज्य सरकार अभी इसके लिए तैयार नहीं है क्योंकि इस फैसले से उनको बड़ा राजस्व यानी रिवेन्यू लॉस होगा। ऐसे में जब तक राज्य सरकार इसकी मंजूरी नहीं मिलती, तब तक इसके दाम को लेकर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। हरदीप सिंह पुरी ने श्रीनगर में इस मामले से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए राज्य की सहमति जरूरी है। अगर राज्य इस दिशा में पहल करते हैं, तो केंद्र भी इसके लिए तैयार है।

पेट्रोल डीजल को जीएसटी में लाने की मांग को मंजूरी

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा साझा जानकारी में बताया गया कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। इसके बावजूद राज्य और केंद्र सरकार के बीच इस पर सहमति नहीं बन रही है। पेट्रोलियम मंत्री ने इस बात की आशंका जताई है कि इनको जीएसटी के दायरे में लाने के लिए राज्य और केंद्र के बीच इस पर सहमति बनने की संभावनाएं कम है। जीएसटी परिषद की बैठक दिसंबर महीने में होने की उम्मीद जताई जा रही है।

क्यों है राज्य सरकारों को इससे आपत्ति

इस दौरान उन्होंने इस सवाल का जवाब देते हुए आगे कहा कि प्रत्येक राज्य के राजस्व की कमाई का प्रमुख स्रोत पेट्रोलियम और शराब उत्पादों पर लगने वाला टैक्स ही होता है। ऐसे में राज्य राजस्व के मुख्य स्रोत में कटौती या समझौता करने पर हर राज्य सरकार मंजूरी नहीं देगी। ऐसे में सिर्फ केंद्र सरकार ही महंगाई और अन्य बातों को लेकर परेशान नजर आ रही है।

Petrol-Diesel Under GST

इस दौरान उन्होंने केरल उच्च मंत्रालय के फैसले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस मामले को जीएसटी परिषद में उठाने का सुझाव तो न्यायालय की ओर से दिया गया था, लेकिन राज्यों के वित्त मंत्री की ओर से इस पर मंजूरी नहीं मिली। ऐसे में जहां तक जीएसटी का सवाल उठता है, तो हमारी या आपकी इच्छाएं या अपनी जगह है। हम एक सहकारी संघीय व्यवस्था का हिस्सा है।

अब तक क्यों जीएसटी के दायरे से बाहर पेट्रोल डीजल

बता दें कि देश के हर हिस्से में एक देश और एक टैक्स के सपने को पूरा करने के लिए मोदी सरकार की ओर से जीएसटी के नियम को लागू किया गया था, लेकिन इसके बावजूद भी पेट्रोल और डीजल पर प्रत्येक राज्य अपने-अपने तरीके से टैक्स वसूलते हैं। अब तक इस पर जीएसटी लागू नहीं हुआ था। इसके चलते एक राज्य से दूसरे राज्य में इंधन की दरें अलग-अलग होती है।

अब ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल कई बार उठता है कि आखिर अब तक पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर क्यों रखा गया था? क्यों इसे अब तक जीएसटी में शामिल नहीं किया गया था? वैसे बता दें कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने के लिए राज्य को होने वाले राजस्व में घाटा होना लाजमी है। यही वजह है कि राज्य सरकार पेट्रोल-डीजल और शराब को भारी टैक्स के साथ बेचती है। ऐसे में अगर यह जीएसटी के दायरे में आता है, तो हर राज्य के राजस्व में कटौती होगी।

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